15 फरवरी से शुरू हो रहा है भारत का दूसरा सबसे बड़ा नागौर पशु मेला, वीकेंड में यहां घूमने का बना सकते हैं प्लान

Nandani Goswami
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नागौर पशु मेला एक वार्षिक उत्सव है, जो ऐतिहासिक शहर नागौर में मनाया जाता है, जो बीकानेर और जोधपुर के बीच स्थित है।नागौर पशु मेला राजस्थान में हर साल जनवरी या फरवरी के महीने में लगता है। इस साल ये मेला 15 फरवरी से शुरू हो रहा है और 18 फरवरी तक चलेगा। यह रामदेवजी पशु मेला या नागौर मवेशी मेला के रूप में भी जाना जाता है। यह करीब 56 साल पहले इस मेले की शुरुआत हुई थी।

नागौर के इस पशु मेले में दूर-दूर से मवेशी अपने पशुओं की खरीद-फरोख्त के लिए आते हैं।

नागौर के इस पशु मेले में दूर-दूर से मवेशी अपने पशुओं की खरीद-फरोख्त के लिए आते हैं। यहां आपको एक से बढ़कर एक अच्छी नस्लों के पशु देखने को मिल जाएंगे। और इस मेले में लाने से पहले लोग अपने जानवरों को अच्छी तरह से सजाते हैं। यहां नागौरी नस्ल के बैलों की बड़ी मात्रा में बिक्री होती है। हर साल यहां तकरीबन 75,000 ऊंट, बैल और घोड़ों का व्यापार होता है।ऊंट, गाय, घोड़े, भेड़ के अलावा यहां मसालों का भी व्यापार किया जाता है। यह व्यापारियों और खरीदारों के साथ-साथ, बड़ी संख्या में पर्यटक इस सांस्कृतिक सुंदरता का आनंद लेने के लिए आते हैं।

मेले के दौरान कई तरह के खेलों का भी आयोजन किया जाता है,

इस त्यौहार का एक और जो मुख्य आकर्षण है वो है मिर्ची बाज़ार। नागौर का लाल मिर्च काफी मशहूर है। इसके अलावा आप यहां आकर लकड़ी पर की गई खूबसूरत नक्‍काशी के सामान, लोहे से बनी तरह-तरह की वस्तुएं और चमड़े से बने सामान देख और खरीद सकते हैं। और यहाँ पगड़ी बांधने की प्रतियोगिताएं, मूंछें प्रतियोगिता, जिमनास्टिक स्टंट, बाजीगर, कठपुतली शो, कहानी कहने और नृत्य कार्यक्रम आयोजित भी किए जाते हैं। मेले के दौरान कई तरह के खेलों का भी आयोजन किया जाता है, जिनमें रस्साकशी, ऊंट और घोड़ों के नृत्य को देखने का अलग ही मजा है। कुचामणि ख्याल गायकी और नागौर की लोकल कला व संस्कृति से भी रूबरू होना का मौका मिलता है।

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मिलिए नंदनी गोस्वामी से, जो एक गतिशील व्यक्ति हैं और अपने क्षेत्र में लहरें पैदा कर रही हैं। मनोरंजन, फैशन, स्वास्थ्य, राजनीति, यात्रा आदि के जुनून के साथ, मैं नवाचार को सबसे आगे लाने के लिए रचनात्मकता के साथ विशेषज्ञता को जोड़ती हूं। कई उद्योगों में अग्रणी, उत्कृष्टता के प्रति उनके समर्पण ने ध्यान और प्रशंसा अर्जित की है।
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