सर्दी के मौसम में कई तरह की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। सर्दियों में खांसी, जुकाम, बुखार और नाक बहने जैसी कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। दरअसल, साइनस एक नाक से जुड़ा इंफेक्शन है, जो एलर्जी, बैक्टीरियल या अधिक ठंड के कारण हो सकता है। साइनस से राहत पाने के लिए आप योगासन भी कर सकते हैं. इसके लिए आप कौन से योगासन कर सकते हैंसर्दियों में साइनस के मरीजों की परेशानी भी काफी ज्यादा बढ़ जाती है।इस बीमारी में दवाइयां लेने के बाद भी जल्दी साइनस की समस्या से राहत नहीं मिलती। ऐसे में साइनस के उपचार के लिए योगासन एक बेहतरीन विकल्प है।
1. भुजंगासन :-
इस मुद्रा का अभ्यास करने के लिए अपना पेट खाली रखें और इसे सुबह करने का प्रयास करें। भुजंगासन के रोजाना अभ्यास से फेफड़ों और श्वसन तंत्र के दूसरे अंगों का विस्तार होता है,ऐसा करते समय इसे 15 से 30 सेकेंड तक रोकें। यह मुद्रा फेफड़ों को खोलती है और हृदय को सक्रिय करती है। ये साइनस से राहत के लिए सबसे अच्छे योग में से एक है क्योंकि ये आपके फेफड़ों को खोलता है और सांस लेने में आसान बनाता है। इस बैठे-बैठे की जाने वाली नौकरी को बेहद आरामदायक समझा जाता है, लेकिन इस तरह देर तक बैठे रहना शरीर के लिए नुकसानदायक होता है। इससे लोगों को कम उम्र से ही कमर में दर्द, गर्दन में दर्द और वजन बढ़ने जैसी दिक्कतों से दोचार होना पड़ता है। ऐसे में भुजंगासन किया जा सकता है।
2. गौमुखासन :-
एक संस्कृत शब्द, गोमुखासन का शाब्दिक रूप से एक गाय के चेहरे की मुद्रा में अनुवाद होता है। गौमुखासन से सीने की मांसपेशियों में खिंचाव पैदा होता है और सांस लेने का रास्ता खुलता है। इसके अलावा चिंता या थकान में भी ये आसन लाभकारी है।30 से 60 सेकंड के लिए इस मुद्रा में रहें। यह एक आसन है जो हमें हमारे शरीर की समरूपता से अवगत कराती हैं। इन्हें करने से आपको त्वचा और बालों से जुड़ी समस्याओं को दूर करने में मदद मिलती है।
3. सेतुबंधासन :-
सेतु बंधासन को सेतु बंध सर्वांगासन भी कहा जाता है। इसका नाम संस्कृत के शब्द सेतु से बना है जिसका अर्थ है पुल, बंध का अर्थ है ताला और आसन का अर्थ है मुद्रा। सेतु बंधासन पीठ के अभ्यास से गर्दन और सीने में खिंचाव होता है। जिससे मांसपेशियों की जकड़न दूर होती हैं। शरीर में खून के साथ ही ऑक्सीजन का प्रवाह भी सही तरीके से हो पाता है। पीठदर्द के साथ ही साइनस की वजह से होने वाले सिरदर्द को भी इस आसन के अभ्यास से दूर किया जा सकता है।ये डिप्रेशन और बेचैनी कम करता है। आपको यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सेतुबंधासन करने से कुछ घंटे पहले आप कुछ भी न खाएं।
4. शवासन :-
शवासन को किसी भी योग सेशन के बाद बतौर अंतिम आसन किया जाता है।’शव’ का शाब्दिक अर्थ होता है मृत देह जबकि आसन का अर्थ होता है ‘मुद्रा’ या फिर ‘बैठना’।शवासन को आमतौर पर शव मुद्रा के रूप में जाना जाता है। यह योग सत्र के अंत में अभ्यास की जाने वाली एक आरामदायक स्थिति है। शवासन, योग विज्ञान का बेहद महत्वपूर्ण आसन है।शवासन आपके शरीर को शारीरिक रूप से आराम देते हुए सचेत और सतर्क रहने के बारे में है। शव मुद्रा के दौरान जागरूक रहने से हमें तनाव मुक्त करने और आराम की स्थिति में प्रवेश करने में मदद मिलती है जिसे अक्सर ध्यान कहा जाता है।