हमारे देश में करोडो माये हैं जो चाहती हे की उनके बच्चे चैम्पियन बने और जीवन में आगे बढ़ें और इसके लिए वह अपने बच्चो को हेल्थ ड्रिंक पिलाती हे क्योंकि टीवी में दिखाया जाता हे की अगर बच्चे यह ड्रिंक पीएंगे तो आगे बढ़ेंगे। इसी तरह हेल्थ पाउडर बॉर्नविटा सवालों के घेरे में है। वह ऐसा ही उत्पाद है जो सेहत को नुकसान दे रहा हैं। कंपनी पर आरोप हैं कि वह इसमें कुल चीनी की मात्रा जरूरत से ज्यादा मिला रहे है। जो बच्चों के स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव डाल सकता है. और इस पर कंपनी ने अपना खुलासा भी किया था।
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने बॉर्नविटा को नोटिस जारी किया है। और बॉर्नविटा बनाने वाली कंपनी से कहा है कि वह अपने उत्पाद पर सभी भ्रामक विज्ञापनों, पैकेजिंग और लेबल की समीक्षा करे और उन्हें वापस ले। इसी तरह कोरोना से पहले इम्यून सिस्टम को लेकर बॉर्नविटा के पैकेट पर कोई जानकारी नहीं दी गई थी। कोरोना आते ही पैकेट के ऊपर इम्यूनिटी सिस्टम को ऐड कर दिया गया। जिससे प्रोडक्ट की बिक्री बढ़े। जबकि प्रोडक्ट में कोई बदलाव नहीं हुआ था।
एनसीपीसीआर ने कहा कि उसे एक शिकायत मिली है जिसमें बताया गया है कि बॉर्नविटा जो खुद को हेल्थ पाउडर ड्रिंक बताकर प्रचार करता है, उसमें उच्च मात्रा में चीनी होती है जो बच्चों के स्वास्थ्य के लिये हानिकारक हो सकता है। कंपनी को दिए नोटिस में कहा गया हे की, ‘आयोग ने पाया है कि आपकी कंपनी में बना प्रोडक्ट अपनी पैकेजिंग और विज्ञापनों के माध्यम से ग्राहकों को गुमराह कर रहा है। और इसके अलावा, आपके प्रोडक्ट की लेबलिंग और पैकेजिंग भी प्रोडक्ट बोर्नविटा में उपयोग की जाने वाली सामग्री के बारे में सही जानकारी नहीं देती हैं। और विनियमों के तहत लेबलिंग में जो बातें अनिवार्य रूप से बताई जानी चाहिए, उसमें भी कंपनी असफल रही है।
FSSAI (Food Safety and Standards Authority of India) द्वारा जारी अधिसूचना का जिक्र करते हुए कहा कि बॉर्नविटा प्रथम दृष्टया तैयारी की विधि के प्रदर्शन नियमों के मुताबिक नहीं करता है। और बॉर्नविटा के डिब्बे पर इस्तेमाल की जो मात्रा बताई जाती है उसे लेकर भी आयोग ने सवाल उठाए हैं कहा है कि यह नियमों का पालन नहीं करता है। इसी को ध्यान में रखते हुऐ आयोग ने कंपनी से सात दिनों के भीतर स्पष्टीकरण किया और नोटिस भेजा और कहा की ”आयोग आपसे अनुरोध करता है कि कृपया सभी भ्रामक विज्ञापनों, पैकेजिंग और लेबलों की समीक्षा करें और उन्हें वापस लें और इस नोटिस के जारी होने की तारीख से सात दिनों के भीतर एक विस्तृत स्पष्टीकरण या रिपोर्ट भेजें”।