शादी के सीजन में सबसे ज्यादा कन्फ़्यूजन कपडे को ले कर ही होती हें। लड़कियां और महिलाएं अपने पसंद के हिसाब से साड़ी टाइप सेलेक्ट कर उसे अपने हिसाब से स्टाइलिश लुक देकर पहेन सकती है। भारत देश में शायद ही कोई ऐसा महिला होगी, जिसे साड़ी पहनना पसंद नहीं होगा। चाहे शादी-विवाह हो या फिर कोई अन्य कार्यक्रम हर उम्र की महिलाओं को खूबसूरत दिखने के लिए साड़ी सबसे बेहतरीन ऑप्शन लगती है। साड़ियों के प्रति महिलाओं का प्यार और क्रेज किसी से छिपा नहीं है।
हर वर्ष की तरह इस बार भी गूगल पर सबसे ज्यादा सर्च की गई चीजों की एक लिस्ट जारी की है। इस लिस्ट में एक सेक्शन वो भी है, जिसमें भारतीय गूगल पर ‘हाउ टु’ सर्च कर रहे थे। जिसमे सबसे ज्यादा सर्च की गई चीजों में एक है- ‘असली कांजीवरम सिल्क साड़ी की पहचान कैसे करें।’ इस साल भारतीयों ने गूगल पर सबसे ज्यादा यह जानकारी ढूंढी। खासतौर पर अगर बात करें सिल्क की साड़ियों की तो महिलाओं को सिल्क की साड़ियां काफी पसंद आती है। अभिनेत्रियां भी सिल्क की साड़ी पहनना काफी पसंद करती हैं। ज्यादातर महिलाएं कांजीवरम और बनारसी साड़ी को ही प्राथमिकता देती हैं।
कांजीवरम साड़ियां शुद्ध सिल्क से बनी होती हैं, जो अपने वजन के कारण से काफी ज्यादा फेमस हैं। हालांकि, इसके बाद भी असली और नकली कांजीवरम साड़ी की पहचान कर पाना काफी मुश्किल का काम होता है। लोगों को लगता है कि कांजीवरम और बनारसी साड़ी एक जैसी ही होती है, जबकि ऐसा नहीं है। ये साड़ियां हाथ से बनाई जाती हैं, इसलिए इनका दाम काफी ज्यादा होता है। इसके साथ ही दोनों की चमक भी तकरीबन एक ही जैसी होती है, जिस वजह से इनमें अंतर बता पाना बेहद मुश्किल हो जाता है।
कांजीवरम एक सिल्क साड़ी है एक खास तरह के रेशम के धागों से बुनी साड़ी। इसे कांजीवरम साड़ी इसलिए कहते हैं क्योंकि यह तमिलनाडु के कांचीपुरम में बनती है। वह की जगहों में विवाह से लेकर स्पेशल अवसरों पर कांजीवरम साड़ियां पहनने का रिवाज होता है, जैसे उत्तर भारत में बनारसी रेशम साड़ी प्रचलित है।साड़ियों के बॉर्डर और बाकी साड़ी की डिजाइन और रंग आमतौर पर अलग होते हैं।
कांजीवरम साड़ी महंगी इसलिए होती हे क्योकि जो इसका थ्रेड शहतूत के पेड़ के कीड़ों से बनता है। यह थ्रेड काफी महंगा होता है क्योंकि शहतूत के कीड़ों का पालन अपने आप में काफी जटिल प्रक्रिया है। रेशमी धागे बनाने वाले इन कीड़ों को बहुत नियंत्रित वातावरण में पाला जाता है। इनका जीवन समय 22 से लेकर 35 दिन तक का होता है। दूसरा कारण यह है की इनकी बुनाई हाथ से होती है। एक साड़ी की बुनाई में 15 दिन से लेकर छह महीने तक का समय लग सकता है। इनकी डिजाइन, रंग, इसमें इस्तेमाल किए गए थ्रेड की क्वालिटी के आधार पर इन साड़ियों की कीमत 10,000 रुपए से लेकर एक लाख रुपए तक हो सकती है।