खाद्य तेलों में आत्मनिर्भरता लाने के लिए सरकार ने आत्मनिर्भर तिलहन अभियान शुरू किया है। भारत संसार में तिलहन-तेल क्षेत्र की पांचवी सबसे बड़ी अर्थ व्यवस्था वाला देश है। लेकिन यहां स्वदेशी स्रोतों से खाद्य तेलों का जितना उत्पादन होता है उससे कई ज्यादा खाद्य तेल विदेशों से आयात किया जाता है। इसका मतलब कि अगर भारत को खाद्य तेलों के उत्पादन में आत्मनिर्भर होना है तो तिलहनों का घरेलू उत्पादन दोगुने से ज्यादा बढ़ाना पड़ेगा जो कम से कम नज़दीकी भविष्य में तो संभव नहीं लगता है। लेकिन सच बात यह है कि तिलहनों का घरेलू उत्पादन एक निश्चित सीमा में लगभग स्थिर हो गया है।
अंतरिम बजट को लेकर उद्योग जगत की ओर से निश्चित प्रतिक्रिया आई है। अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शंकर ठक्कर ने तिलहन क्षेत्र में ‘आत्मनिर्भरता’ हासिल करने के लिए सरसों, मूंगफली, सोयाबीन, तिल और सूरजमुखी जैसे तिलहन फसलों के मामले में बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार की योजना का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि उच्च उत्पादन देने वाली किस्मों को विकसित करने, आधुनिक कृषि तकनीकों को व्यापक रूप से अपनाने, बाजार संपर्क, सुनिश्चित खरीद, मूल्य संवर्धन और फसल बीमा के लिए नए सिरे से तिलहन उत्पादन को बढ़ावा देने में सहायता मिलेगी। संगठन ने बजट का स्वागत करने के साथ यह भी कहा कि एग्रोकेमिकल्स पर मौजूदा 18% से घटाकर 12% किया जाए।
क्रॉपलाइफ इंडिया के सेक्रेटरी जनरल दुर्गेश चंद्रा ने कहा कि 2024-25 में किसानों की आमदनी बढ़ाने और क्षेत्र के समग्र विकास के लिए सुधारों पर ध्यान देना चाहिए। भारतीय किसानों को नए और हरित फसल सुरक्षा उत्पादों की जरुरत है। राष्ट्रीय महामंत्री तरुण जैन ने कहा हम यह भी चाहते थे कि सरकार तिलहन विस्तार कार्यक्रम को और मजबूत करने के लिए तिलहन उत्पादन बोर्ड का गठन करें जिसमें किसान, वैज्ञानिक, सरकारी अधिकारी एवं तिलहन और खाद्य तेल संगठनों के प्रतिनिधियों को शामिल किया जाए।
वनस्पति तेल उद्योग संस्था सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने वित्त मंत्री से तिलहन उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए नए कार्यक्रम के लिए पर्याप्त वित्तीय सहायता निर्धारित करने का अनुरोध किया है। सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष अजय झुनझुनवाला ने कहा, हमारा लक्ष्य अगले 5 वर्षों में खाद्य तेल आयात पर मौजूदा निर्भरता को 60 प्रतिशत से घटाकर 30 प्रतिशत करना है।
मुंबई स्थित उद्योग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, स्थानीय तिलहन की कीमतें बढ़ाने और इसे किसानों के लिए आकर्षक बनाने के लिए खाद्य तेलों पर आयात शुल्क बढ़ाने की जरूरत है। और खाद्य तेल की कीमतों में 40-50 प्रतिशत की गिरावट के बावजूद, मौजूदा आयात शुल्क संरचना कम है।