बॉलीवुड एक्ट्रेस कंगना रनौत आए दिन अपनी फिल्म या फिर बयानों को लेकर चर्चा में रहती हैं। कंगना रनौत अपनी एक्टिंग के साथ-साथ अपनी बेबाकी के लिए भी जानी जाती हैं। एक बार फिर कंगना रनौत सुर्खियों में आ गई हें। साल 2002 में गुजरात में घटी बिलकिस बानो वाली घटना पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद एक बार फिर से जोरों से चर्चा हो रहा है। दरअसल जिन दोषियों को पिछले साल समय से पहले रिहा कर दिया गया था उन्हें सुप्रीम कोर्ट ने फिर से सरेंडर करने का निर्देश दिया है। अब कंगना रनौत भी इसी केस को लेकर चर्चा में हैं, उन्होंने खुलासा किया है कि वो इस पूरे मुद्दे पर फिल्म बनाना चाहती हैं।
गुजरात में गैंगरेप पीड़िता बिलकिस बानो एक बार फिर से चर्चा में आ रही हैं। पिछले साल इस केस में सजा काट रहे जिन 11 दोषियों को गुजरात सरकार ने समय से पहले रिहाई दे दी थी, सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के उस फैसले को रद्द कर दिया है। यानी उस गैंगरेप और परिवार के 7 लागों की हत्या के ये आरोपी एक बार फिर से कानून के कब्ज़े में फंस चुके हैं।
एक एक्स यूजर ने कंगना रनौत को कहा की ‘डियर कंगना रनौत,महिलासशक्तीकरण के प्रति आपका जुनून बेहद उत्साहित करने वाला है। क्या आप एक सशक्त फिल्म के साथ बिलकिस बानो की कहानी सुनाने में इंटरेस्ट लेंगी? क्या आप ऐसा कर सकती हैं?’ शख्स ने सवाल उठाते हुए कंगना से कहा कि आप दिखा सकती हैं कि एक स्त्री के साथ गैंगरेप हुआ और परिजन के 6 अन्य लोगों के साथ उसकी छोटी बेटी की मौत हो गई, कैसे बिलकिस ने इसके लिए लड़ाई लड़ी। इसी पर कंगना ने अपनी बात कही है।
एक्ट्रेस कंगना रनौत ने जवाब देते हुऐ कहा की वो इस फिल्म को बनाने के लिए कब से तैयार हैं, लेकिन कोई ओटीटी उनके साथ काम करने को तैयार नहीं। कंगना ने अपने इस ट्वीट में कई सारे ओटीटी प्लैटफॉर्म को टैग करते हुए कहा है, ‘मैं ये कहानी बनाना चाहती हूं, मेरे पास स्क्रिप्ट तैयार है, मैंने उस पर तीन साल तक शोध भी किया है और काम किया है। और अन्य स्टूडियो ने मुझे लिखा कि उनके पास साफ गाइडलाइन्स हैं कि वे तथाकथित राजनीति से प्रेरित फिल्में नहीं बनाते हैं।’
अभिनेत्री, जो एक एक्ट्रेस और फिल्म मेकर भी हैं, उन्होंने खुलासा किया कि वह लंबे समय से ऐसी फिल्म बनाना चाहती थीं और तीन साल से इस पर काम कर रही थीं। उन्होंने यह भी कहा की मेरी फिल्मों के लिए समझौता की गई नेगेटिविटी भरी है, मैं अब तक कड़ी मेहनत कर रही हूं, लेकिन ऑडियंस भी महिलाओं को पीटने वाली फिल्मों को इनकरेज कर रहे हैं, जहां उनके साथ वस्तुओं की तरह व्यवहार किया जाता है और जूते चाटने के लिए कहा जाता है यह किसी ऐसे व्यक्ति के लिए बहुत हतोत्साहित करने वाला है जिसने ऐसा किया है. महिला सशक्तिकरण फिल्मों के लिए अपना जीवन समर्पित कर रही हूं, आने वाले सालों में करियर बदल सकती हूं, अपने जीवन के बेस्ट साल किसी सार्थक काम में देना चाहती हूं।